मौलाना वहीदुद्दीन खान
24 मार्च 2018
एक दुर्बल किसान गावं के चर्च के अंदर सबसे अंतिम बेंच पर अकेला बैठा हुआ थाl “तुम किस बात के इंतजार में हो?” किसी ने उससे पूछा, “मैं उसे देख रहा हूँ और वह मुझे देख रहा है”, उसने उत्तर दियाl
उस किसान के इस उत्तर से इबादत की रूह समझ में आती हैl वास्तविक इबादत असल में दुनिया को बनाने वाले के साथ बातचीत में लीन होना है; यह हर जगह खुदा की मौजूदगी से आगाह होना, उसकी कुदरत के शान के आगे सजदा करना और यह जानना कि वह हर हुस्न व जमाल, ज्ञान, तथ्य और मआरिफ़ और शक्ति और बल का स्रोत हैl
इस प्रकार का काम किसी एक ख़ास समय के अंदर अंजाम नहीं दिया जाता, बल्कि यह चेतना की एक ऐसी स्थिति है जो इंसान के पुरे अस्तित्व पर तारी होती है जिसकी अभिव्यक्ति उसके हर हर काम से होती हैl
अगर कोई खुदा की इबादत को किसी एक इबादत गाह में सीमित कर देता है और वह उसका प्रदर्शन अपने दैनिक जीवन में नहीं करता तो उसकी इबादत कोई इबादत नहीं है इसलिए कि उसका स्रोत खुदा का वास्तविक ज़िक्र नहीं हैl
ऐसा क्यों हो सकता है कि कोई खुदा के सामने विनम्र हो और फिर बाहर निकल कर लोगों के सामने घमंड में इतराता फिरे?
ऐसा कैसे हो सकता है कि कोई अपनी इबादत की हरकात व सकनात में कमाल दर्जे के अदब का प्रदर्शन करे और इसके बाद ऐसी ज़िन्दगी गुज़ारे कि जैसे वह सभी प्रकार की नैतिक प्रतिबंधों से आज़ाद है?
यह कैसे संभव है कि कोई अपनी इबादत में खुदा की सेवा का प्रण ले और इसके बाद केवल अपने जीवन के अंदर अपनी इच्छाओं को पूरा करने में लगा रहेl
इसलिए, वास्तविकता यह है कि कथनी व करनी का ऐसा विरोधाभास केवल जाली इबादत से ही पैदा होता हैl ऐसी इबादतें केवल एक जिम्मेदारी समझ कर अदा कर ली जाती हैं, उनमें खुदा के अनुभूति की कोई चेतना नहीं होतीl वास्तविक इबादत का आधार केवल खुदा के निरंतर ज़िक्र पर ही होती है, और जो खुदा को याद रखता है उसे कभी नहीं भूलताl
वास्तविक इबादत एक जीवन शैली का नाम है, और वास्तविक जीवन शैली सचमुच एक इबादत के अंदाज़ से इबारत हैl
स्रोत:
sundayguardianlive.com/opinion/the-essence-of-prayer
URL for English article: https://newageislam.com/spiritual-meditations/the-essence-prayer/d/114763
URL for Urdu article: https://www.newageislam.com/urdu-section/the-essence-prayer-/d/114821
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