जावेद चौधरी
23 नवम्बर, 2012
आतंकवादी हमारी तीसरा बड़ी समस्या है, ये समस्या जनरल ज़ियाउल हक़ के दौर में शुरु हुई और अब हमारी लाइप स्टाइल का हिस्सा बन चुकी है। आप किसी दिन का अखबार उठा कर देख लीजिए आपको इसमें दस बीस पचास मौतों की ख़बर ज़रुर मिलेगी। ये लोग टार्गेट किलिंग में मारे गए होंगे, सांप्रदायिकता में मारे गए होंगे या फिर बम धमाकों और आत्मघाती हमलों का शिकार बन गए होंगे, अगर किसी दिन कोई ऐसी ख़बर न आए तो लोगों को सड़क दुर्घटना, पाक- अफगान सीमा या फिर कोई पारिवारिक दुश्मनी दस बीस लोगों के लाशों का तोहफा दे जाती है। हम चालीस साल से मौत की ये खबरें पढ़, सुन और देख रहे हैं, और इन खबरों ने हमारी सामूहिक मानसिकता को बदल दिया है। हमारे अन्दर से ज़िंदगी से मोहब्बत और मौत का अफसोस निकल गया है। हम अब बम धमाकों, आत्मघाती हमलों, सड़क दुर्घटनाओं, सांप्रदायिक और पारिवारिक दुश्मनियों की मौतों को ड्रामे की तरह देखते हैं। हम लाशों के करीब से गुज़र कर वलीमा की दावतों में चले जाते है। वहाँ पागलों की तरह हँसते हैं और पेट भर खाना खाते हैं, ज़िंदगी से मोहब्बत और मौत से अफसोस की इस कमी ने हमें अन्दर से उदास कर दिया है। हम खुश होना, संतुष्ट होना और अल्लाह की नेमतों का आनंद लेना भूल चुके हैं। हम सबके चेहरों से ताज़गी उड़ चुकी है। आखों की चमक मांद पड़ चुकी है और आगे बढ़ने और ज़िंदगी को खूबसूरत बनाने का जज़्बा बुझ गया है। आप इस देश के किसी नागरिक के चेहरे को ग़ौर से देखिए आपको उस पर डिप्रेशन और परेशानी की दर्जनों लकीरें मिलेंगी।
हम सब गहरी आफत के क़ब्ज़े में हैं, मुझे इस आफत पर अक्सर मौलाना रूम की एक घटना याद आ जाती है। मौलाना रूम का दौर दुनिया का सबसे बुरा दौर था। तातारियों ने पुरी दुनिय की ईंट से ईंट बजा दी थी और मंगोलिया से लेकर बग़दाद तक दुनिया राख, खाक, और जली हुई हड्डियों का ढेर बन गई थी। इस दौर में ईरान का एक ज़मींदार मौलाना रूम के पास आया और उनका दामन पकड़ कर रोने लगा। मौलाना ने पूछा क्या हुआ? उसने जवाब दिया हमारा पूरा इलाका तबाह हो गया। मौलाना ने पूछा, क्या तुम्हारा परिवार भी तबाह हो गया? उसने सिर उठा कर जवाब दिया, ''नहीं मेरे परिवार के सभी लोगों की जानें, बाग़, फसलें और घर सुरक्षित हैं।'' मौलाना ने पूछा, ''फिर तुम क्यों रो रहे हो'' उसने जवाब दिया, ''हुज़ूर ये खून खराबा मेरी खुशी खा गया है, मैं खुश होना भूल गया हूँ।'' ये सुनकर मौलाना रूम की आंखों में भी आंसू आ गए।
पाकिस्तान में खून खराबे के इस खेल से सिर्फ दशमलव एक (0.1) प्रतिशत लोग सीधे तौर पर प्रभावित हुए लेकिन ये खेल बाक़ी 99 दशमलव 99 (99.99) प्रतिशत जनता की खुशी खा गई। मुझे विश्वास है राष्ट्रपति आसिफ ज़रदारी, मियां नवाज़ शरीफ और राजा परवेज़ अशरफ भी अब खुश नहीं होगें क्योंकि इस देश में खुशी ज़ख्मी हो चुकी है और इस ज़ख्म की तकलीफ देश के किसी व्यक्ति को आराम से सोने नहीं दे रही। ये लोग अब सत्ता में रहकर भी खुश नहीं रह सकते लेकिन अगर हम इस देश में रहना चाहते है, हम अगर इसको आगे चलाना चाहते हैं तो फिर हमें तुरंत हत्या, मारधाड़ का ये खेल खत्म करना होगा वरना दूसरी स्थिति में ये देश नहीं चल सकेगा। हमें देश को हत्या और मार धाड़ से निकालने के लिए कुछ तुरंत और बड़े फैसले करने होंगे। देश में चार तरह की हत्याएं हो रही हैं, आतंकवादी, पारिवारिक दुश्मनियाँ, सांप्रदायिकता और ट्रैफिक दुर्घटना। हमें इन सबको खत्म करना होगा।
हमें सबसे पहले ये मानना होगा पुलिस अब अकेली देश में शांति स्थापित नहीं कर सकती। पुलिस की संख्या भी कम है, भर्तियां भी योग्यता के आधार पर नहीं होतीं, राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण उसकी क्षमता भी समाप्त हो चुकी है और उसके मुँह को भ्रष्टाचार का स्वाद लग चुका है इसलिए पुलिस से अब बड़ी बड़ी उम्मीदें रखना ग़लत होगा। इसलिए सरकार को तुरंत खुफिया एजेंसियों, रेंजरों और न्यायपालिका को पुलिस सेवा का हिस्सा बनाना होगा। सरकार दस साल के लिए सभी खुफिया एजेंसियों और रेंजरों को पुलिस सेवा का हिस्सा बना दे। तीनों विभागों को मिलाकर 'लॉ एंड ऑर्डर डिवीजन'' बनाई जाए। पुलिस कानूनी कार्रवाई करे, एफआईआर दर्ज करे, चालान करे। रेंजर्स ऑपरेशन करें और खुफिया एजेंसियाँ जांच करें। ये डिवीजन छह महीने में अपराधी को अंजाम तक पहुंचाने के लिए ज़िम्मेदार हो। चीफ जस्टिस ऑफ सुप्रीम कोर्ट और चारों राज्यों के मुख्य न्यायाधीश को बाकायदा विश्वास में लिया जाए और उनकी मदद से स्पेशल कोर्ट बनाई जाएं। पूरे देश में हथियारों पर पाबंदी लगा दी जाए। सभी हथियार लाइसेंसों को रद्द कर दिए जाए। सेना की मदद से देश भर से हथियार जमा कर लिया जाए और इसके बाद जिस व्यक्ति के पास से हथियार मिले उसे कम से कम दस साल की सज़ा सुना दी जाए। हथियार रखना, बेचना और खरीदना ये तीनों अपराध गैरज़मानती हों और इस अपराध में किसी व्यक्ति को मुक्ति हासिल न हो। डी.सी.ओज़ को इलाके की पारिवारिक दुश्मनियाँ खत्म कराने का टास्क दिया जाए। ये पंचायत बनवाएं, पारिवारिक दुश्मनियाँ खत्म करवाएं और इलाके के प्रतिष्ठित लोगों से ज़मानत लें कि ये लोग आगे से एक दुसरे से न उलझेगें और अगर ये लोग लड़े या किसी पर हमला किया तो उनकी सभी चल और अचल संपत्ति ज़ब्त कर ली जाए। इनके पहचान पत्र और पासपोर्ट भी ज़ब्त कर लिए जाएं।
देश में सांप्रदायिकता के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। देश में सभी विवादास्पद किताबों के प्रकाशन, आयात और खरीद और बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया जाए। यूट्यूब पर मौजूद विवादास्पद भाषणों को हटा दिया जाए। विवादास्पद बातचीत, लेख और भाषण पर प्रतिबंध लगाया जाए और उल्लंघन करने वालों के लिए कम से कम दस साल की कैद हो और उनकी संपत्ति भी ज़ब्त कर ली जाए। विवादास्पद बातचीत का आरोप लगाने वाले को भी यही सज़ा दी जाए। देश में तुरंत मस्जिदों और इमाम बारगाहों का डेटा इकट्ठा किया जाए। सरकार की अनुमति के बिना देश में कोई इबादतगाह न बन सके। देश के सभी मस्जिदों के लिए इमाम सरकार की अनुमति से तैनात किए जाएं। लाउड- स्पीकर पर पाबंदी लगा दी जाए। जुमा का खुत्बा आधे घंटे से अधिक न हो। खतीबों के लिए बाकायदा 'रेड लाइन' लगा दी जाए और उन्हें पाबंद किया जाए कि वो इस रेड लाइन पर कदम नहीं रखेंगे। देश में हर प्रकार के चंदे, खालें इकट्ठा करने और सदक़ा देने की अपील पर प्रतिबंध लगा दिया जाए। सभी संस्थान अपने खाते खुलवाएँ और अगर किसी को उन्हें मदद देनी हो तो वो ये रकम सीधे उनके खातों में जमा कराएं। धार्मिक संस्थानों में विदेशी सहायता लेने पर पाबंदी लगा दी जाए। मदरसों के लिए कंप्यूटर, अंग्रेज़ी और विज्ञान विषयों को अनिवार्य घोषित कर दिए जाए। सुन्नी मदरसों में पच्चीस प्रतिशत शिया छात्रों को प्रवेश देने के पाबंद हों और शिया मदरसों में पच्चीस प्रतिशत सुन्नी छात्रों को प्रवेश देने के पाबंद हों। उलमा को को टैक्स में छूट दे दी जाए लेकिन ये हर साल टैक्स रिटर्न जमा कराने के पाबंद हों और देश के सभी शहरों में हेल्पलाइन बनाई जाए और जनता से अपील की जाए उनके मुहल्ले में यदि कोई संदिग्ध व्यक्ति मौजूद है या कोई संदिग्ध गतिविधि देख रहे हैं तो ये इस हेल्फ लाईन पर तुरंत सूचना दें।
आप अब आइए ट्रैफिक के हाथों क़त्ल होने वाले नागरिकों की तरफ, देश में ट्रैफिक नियमों पर तुरंत अमल करना शुरु करा दिया जाए। सभी ड्राइवर ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन फिटनेस सर्टिफिकेट और बीमा विंड स्क्रिन के साथ डिस्पले करें। गाड़ी के लिए बीमा अनिवार्य घोषित कर दिया जाए। बीमा कंपनियों को वाहनों की मासिक फिटनेस का ज़िम्मेदार ठहराया जाए और जो व्यक्ति इसका उल्लघंन करे उसकी गाड़ी एक महीने के लिए रेंट ए कार कंपनियों के हवाले कर दी जाए। इससे प्राप्त होने वाली आय ट्रैफिक पुलिस के खाते में जमा करा दी जाए। ट्रैफिक पुलिस को स्वायत्त बना दिया जाए। ट्रैफिक चालान से प्राप्त होने वाली सभी आय उन्हें दे दी जाए। ट्रैफिक दुर्घटना का कारण बनने वाले चालकों का लाइसेंस हमेशा के लिए रद्द कर दिया जाए। ट्रैफिक पुलिस हाई-वे पर हर बीस किलोमीटर बाद इमरजेंसी डिस्पेंसरी और हर पचास किलोमीटर की दूरी पर बीस बेड का अस्पताल बनाए। अस्पताल में ऑपरेशन थियेटर और मैटरनिटी होम की सुविधा भी मौजूद हो। इन अस्पतालों का खर्च टोल- प्लाज़ा की आमदनी से पूरा किए जाए और ट्रैफिक नियमों का उल्लघंन करने वाले ड्राइवर से जुर्माने के साथ साथ एक बोतल खून भी लिया जाए। ये खून ट्रैफिक हादसों के शिकार घायलों को लगाया जाए।
नोट: सभी माडल्ज़ भी दुनिया के विभिन्न देशों में काम कर रहे हैं, कोई इन पर अमल करना चाहे तो इस पर विस्तार से बात हो सकती है।
स्रोतः रोज़नामा एक्सप्रेस, पाकिस्तान
URL for Urdu article: https://newageislam.com/urdu-section/terrorism-its-solution-/d/9420
URL for this article: https://newageislam.com/hindi-section/terrorism-its-solution-/d/66621