न्यू एज इस्लाम स्टाफ राइटर
उर्दू से अनुवाद न्यू एज इस्लाम
24 फ़रवरी 2023
Veteran screenwriter, lyricist and poet Javed
Akhtar (right) with host Adil Hashmi at the Faiz Festival 2023, in Lahore. |
Photo Credit: PTI
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हाल ही में भारतीय फिल्म गीतकार, पटकथा लेखक और कवि जावेद अख्तर ने लाहौर में जश्ने फैज के मौके पर कुछ ऐसी बेलाग टिप्पणियां कीं, जो दोनों देशों में चर्चा का विषय बन गई हैं। उन्होंने कहा कि भारत के लोग पाकिस्तानी कलाकारों का सम्मान करते हैं और उनके संगीत कार्यक्रम आयोजित करते हैं, लेकिन पाकिस्तान के लोग भारतीय कलाकारों को इतना महत्व नहीं देते हैं। उदाहरण के लिए मेहदी हसन, गुलाम अली और अन्य गायकों के भारत में प्रमुख कार्यक्रम हुए लेकिन लता मंगेशकर का पाकिस्तान में कोई कार्यक्रम नहीं हुआ। हजारों दर्शकों ने उनकी सराहना की। इसके बाद उन्होंने कहा कि मैं मुंबई में रहता हूं जहां 26 नवंबर 2008 को आतंकी हमला हुआ था। वे आतंकवादी नार्वे से नहीं आए थे और वे मिस्र से नहीं आए थे। वे पाकिस्तान के थे और वे हमलावर आज भी पाकिस्तान में खुले आम घूम रहे हैं। दर्शकों ने तालियां बजाकर इसका समर्थन किया।
भारत में उनके बयानों की तारीफ हुई, लेकिन पाकिस्तान में मीडिया और सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली। वहीं अभिनेता शान ने जावेद अख्तर की आलोचना की लेकिन ज्यादातर लोगों का रिएक्शन यही था कि जावेद अख्तर गलत नहीं थे। एक सामाजिक कार्यकर्ता ने अल्टा शान की आलोचना करते हुए कहा कि जब भारत में पाकिस्तान द्वारा आतंकवादी कार्य कश्मीर या मुंबई या पठानकोट या दिल्ली में होते हैं, तो वहां भारतीय मुसलमानों को संदेह की दृष्टि से देखा जाता है। इसलिए जावेद अख्तर इसी एंगल से बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि जावेद साहब की आलोचना करने से पहले शान साहब को यह नहीं भूलना चाहिए कि पेशावर में मस्जिद पर हमला करने वाले भारत से नहीं आए थे।
इस संबंध में एक भारतीय टीवी चैनल से बात करते हुए जावेद अख्तर ने कहा कि अहम बात यह थी कि पाकिस्तान के लोगों ने मेरी बातों पर तालियां बजाईं. इससे पता चलता है कि अब पाकिस्तान के लोग हकीकत से वाकिफ हो रहे हैं। और इसका कारण है सोशल मीडिया का बढ़ता दायरा। इसलिए अब हम भारतीयों को भी पाकिस्तानी लोगों के प्रति अपनी राय बदलनी होगी। उन्होंने कहा कि लाहौर के लोगों के भारतीय लोगों के बारे में बहुत अच्छे विचार हैं और वे भारतीय लोगों के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं। इसलिए हमें पाकिस्तान के लोगों को वहां की सेना से अलग कर के देखना चाहिए।
यह एक सच्चाई है कि पिछले कुछ समय से पाकिस्तान के सोशल मीडिया और यूट्यूब पर कुछ पत्रकार भारत और पाकिस्तान के बीच की गलतफहमियों को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं और अधिकांश लोगों को लगता है कि पाकिस्तान का सुधार और विकास भारत के साथ अच्छे संबंधों में ही है। सोशल मीडिया ने दोनों देशों के लोगों को एक-दूसरे को समझने में मदद की है। अब वे मीडिया के प्रचार और हकीकत में फर्क समझने लगे हैं। जावेद अख्तर की बेलाग टिप्पणी पर पाकिस्तानी जनता का समर्थन यह भी दर्शाता है कि जनता अब सेना की भूमिका पर सवाल उठाने लगी है। लोगों को अपनी अहमियत दिखाने के लिए पाकिस्तानी सेना ने भारत को शाश्वत शत्रु के रूप में पेश किया है। सेना ने पाकिस्तान और भारत के बीच व्यापार में बाधा डाली जिससे पाकिस्तान को भारी नुकसान हुआ। इमरान खान ने भारत के साथ व्यापार शुरू करने का ऐलान किया था लेकिन एक दिन बाद ही सेना के दबाव में उन्होंने अपना बयान वापस ले लिया। आज पाकिस्तान भारत का सामान दुबई के रास्ते खरीदता है, जिससे माल की कीमत बहुत ज्यादा हो जाती है। पाकिस्तानी लोग अब खुलकर कह रहे हैं कि अगर भारत से व्यापार होता तो आज पाकिस्तान को खाने की कमी और महंगाई का सामना नहीं करना पड़ता।
पाकिस्तानी सेना ने न केवल भारत में आतंकवाद बढ़ाया बल्कि अब यह भी खुलासा हो रहा है कि आईएसआई और पाकिस्तानी सेना भी टीटीपी को समर्थन दे रही है। सेना में भ्रष्टाचार का आलम यह है कि कोर कमांडरों ने सेना मुख्यालय को पत्र लिखकर बताया है कि जवानों को दो वक्त का खाना भी ठीक से नहीं मिल रहा है। अब सवाल उठता है कि जब देश के बजट का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तानी सेना के पास जाता है और इसके अलावा पाकिस्तान के उद्योगों और संसाधनों पर सेना का कब्जा है तो पूरा रुपया किसकी जेब में जा रहा है?
जावेद अख्तर ने टीवी चैनल से यह भी कहा कि दुनिया में कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां देश आपस में लड़ते थे। लेकिन आज वे क्षेत्र सामूहिक रूप से आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए काम कर रहे हैं। यूरोप में यूरोपीय संघ है जिसकी एक सामान्य मुद्रा है। फ्रांस और जर्मनी के बीच एक सेतु है, जिस पर चलकर बच्चे फ्रांस से जर्मनी साइकिल द्वारा चले जाते हैं। यहां दक्षिण एशिया में भी वैसी ही आर्थिक और राजनीतिक एकता होनी चाहिए। लेकिन इसके लिए पहल दोनों तरफ से होनी चाहिए।
पाकिस्तान की जनता आज इस बात से भलीभांति परिचित है कि भारत वैज्ञानिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से उनसे आगे निकल चुका है और वे अपने नेताओं और पाकिस्तानी सेना की गलत नीतियों के कारण मंहगाई और बेरोज़गारी के दलदल में डूबते चले जा रहे हैं। इसलिए जब जावेद अख्तर ने लाहौर में बैठकर नसीहत और सहानुभूतिपूर्ण ढंग से उनसे कुछ कड़वी बातें कही तो उन्होंने उसका समर्थन किया। सच तो यह है कि वे भारत के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं, लेकिन वहां के नेता और सेना उन्हें भारत के करीब नहीं आने देती, क्योंकि पाकिस्तान के राजनीतिक नेताओं और पाकिस्तानी सेना के हित दोनों देशों के लोगों के भीच दूरी से जुड़े हुए हैं।
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Urdu Article: Javed Akhtar's remarks in Lahore لاہور میں جاوید اختر کا تبصرہ
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