सुमित पाल, न्यू एज इस्लाम
उर्दू से अनुवाद न्यू एज इस्लाम
18 अक्टूबर 2022
“कुछ शब्द आपकी जिंदगी को बदल देते हैं, जैसे कुछ शब्द आपकी ज़िंदगी को मसल भी देते हैं।“
-उर्दू के हास्य साहित्यकार लतीफ घोंघी
शुक्रगुजारी और निदामत दो ऐसे अलफ़ाज़ हैं जो आपकी शख्सियत को बदल सकते हैं और दोनों का इज़हार पुरे दिल से होना चाहिए। जब तक हम इनका इज़हार फराखदिली से नहीं करते, हम अंदर से आने वाली ख़ुशी के गहरे एहसास को महसूस नहीं कर सकते। यह बिलकुल नाकाबिले बयान है।
उर्दू के प्रसिद्ध साहित्यकार, मरहूम इंतज़ार हुसैन ने लिखा है कि जब वह बहुत छोटे थे तो उनकी आदत थी कि वह अपनी (बचकाना) गलतियों के बावजूद कभी किसी से माफ़ी नहीं मांगते थे। एक दिन उनके उस्ताद ने उनसे कहा कि अगर तुमने कभी किसी से माफ़ी नहीं मांगी तो तुमसे भी कोई माफ़ी नहीं मांगेगा। यह जादूई मशवरा फ़ौरन मेरे दिल व दिमाग से टकरा गया। मियाँ इंतज़ार ने शरारत से अपने दोस्तों की कापियों के पन्ने फाड़ कर माफ़ी माँगना शुरू कर दी और दोस्तों ने भी शिकायत करना छोड़ दी। इसने दो तरह से काम किया। उसकी बुरी आदतें काबू में आ गई और उस्तादों से उसके खिलाफ शिकायतें कम हो गईं।
हम साधारणतः सादा सी चीजों की अहमियत को कभी कभार ही समझते हैं जब तक कि हमें जीवन के तमाम शोबों में उनके दूर गामी प्रभाव का एहसास न हो। यह कहावत कि ‘माफ़ी और शुक्रिया आपको बहुत दूर तक ले जा सकते हैं’ बिलकुल सहीह हैं। अरबों का अकीदा है कि जो लोग शुक्रिया/ शुक्रिया और ‘खता माफ़’ जैसे शब्दों का उपयोग करने में कंजूसी करते हैं वह फितरत के एतेबार से कभी फैय्याज नहीं होते। ‘जो न कहे शुक्रिया/ दिल उसका समुंद्र न दरिया’। यह शेअर सादा शब्द ‘शुक्रिया’ की अहमियत को उजागर करता है।
फ्रांसीसी, अंग्रेजी और फ़ारसी संस्कृतियों में, लोगों को शब्द शुक्रिया और माफ़ी के उचित उपयोग से परखा जाता है। जो लोग शुक्रिया और माफ़ी नहीं कहते उन्हें गाउच कहा जाता है (फ्रांसीसी में बदसूरत, अनाड़ी और अजीब, जो अब अंग्रेजी में खूब उपयोग होता है।) यह दो शब्द न केवल इंसान को जीवन में बहुत दूर तक ले जाते हैं, बल्कि यह हमारी शख्सियत को भी निखारते और उनकी तकमील करते हैं। शुक्रिया और माफ़ी के अलफ़ाज़ अक्सर यह ज़ाहिर करते हैं कि हम दूसरों का ख्याल रखते हैं। वह हमारे शुक्रगुजारी के एहसास और निदामत के हकीकी एहसास को ज़ाहिर करते हैं। किसी की शख्सियत का ख्याल रखने वाला और बारीक बीनी का पहलु इन दो दिखने में सादा और बा वकार अलफ़ाज़ से आशकार होता है, जो बहुत गंभीरता से कहे जाते हैं। वह बहुत सादा लगते हैं लेकिन उनकी सादगी में अर्थ, ख्याल, मोहब्बत, हमदर्दी, शाइशतगी और उन तमाम खसलातों का एक उफक पिन्हा है जो एक फर्द में मतलूब है।
हमेशा याद रखें कि जीवन छोटी छोटी चीजों पर आधारित है लेकिन वह बहुत छोटी चीजें जीवन को बहुत बड़ा बना देती हैं। समुंद्र अनगिनत कतरों पर आधारित है, हालांकि समुंद्र से निकलने वाले कतरों की कोई कीमत नहीं हो सकती। छोटी छोटी बातों से ही बनता है यह जगत। धन्यवाद खाने में नमक जैसा है/ इसके बिना भोजन फीका है। इसको याद रखें और इन दो शब्दों को बहुत अधिक और कसरत से उपयोग करें। आपको हर कोई पसंद करेगा और आप सबकी आँखों का तारा बन जाएंगे।
अंत में, महिलाएं सभ्य और बहादुर पुरुषों से मोहब्बत करती हैं जो शुक्रिया और माज़रत कहते
हैं, लेकिन इनके अधिक उपयोग
को नापसंद करते हैं! पुरुष भी सभ्य महिलाओं में इस खूबी को सराहते हैं और उनके खुशगवार
सोहबत के ख्वाहिशमंद होते हैं। इस तरह की मामूली बाते (मुखालिफ जिंस के साथ) अच्छे
और स्वस्थ संबंध बनाने में मददगार हो सकती हैं!
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English Article: Gratitude and Regret Must Be Expressed Wholeheartedly
Urdu Article: Gratitude and Regret Must Be Expressed Wholeheartedly
شکرگزاری
اور ندامت کا اظہار پورے دل سے کیا جانا چاہیے
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