गौस सिवानी
25 दिसंबर, 2016
तस्व्वुफ (सूफीवाद) दुनिया को शांति, अहिंसा, प्रेम और भाईचारे का पाठ देता है। सूफियों ने पूरी दुनिया को प्यार का संदेश दिया है। उनके भाईचारे व प्रेम का संदेश आज भी सार्थक है जो दिलों को जोड़ने का काम कर सकता है। तस्व्वुफ की सबसे बुनियादी शिक्षा है कि इंसान अपने निर्माता और मालिक से ऐसा आध्यात्मिक रिश्ता जोड़े कि उसे अपने दिल के आईने में सारी दुनिया का तस्वीर दिखने लगे। इस तरह दिल से दिल के तार जुड़ते चले जाएंगे और कोई भी इसके लिए गैर और पराया नहीं रह जाएगा।
तस्व्वुफ (सूफीवाद) कहता है कि अल्लाह एक है। उसकी नजर में उसके सारे बन्दे एक हैं। अल्लाह से प्यार ही मानव जीवन का उद्देश्य है। प्यार ही जीवन की सबसे बड़ी सच्चाई है। जो मनुष्य इस प्यार को पा लेता है उसे किसी और चीज की आवश्यकता नहीं रह जाती। सूफियों ने अपने पराए के दायरे से बाहर निकल कर पूरी दुनिया को भलाई के लिए मानवता पर जोर दिया। उन्होंने किसी भी भेदभाव से ऊपर उठकर मनुष्य के दिलों को जोड़ने का काम कियाI अल्लाह को प्राप्त करने के लिए जोगी होना जरूरी नहीं है। घर गृहस्थी में रहकर भी अल्लाह से रिश्ता जोड़ा जा सकता है। पत्नी, बच्चों से प्यार है तो अल्लाह से भी प्यार हो सकता है। पूरी दुनिया को अपना घर, परिवार समझने वाले सूफियों ने प्रेम की एक ऐसी मशाल जलाई जिसके प्रकाश में आज भी पूरी दुनिया अपना रास्ता साफ साफ देख सकती है।
प्यार दो दिलों में दूरी रहने नहीं देती
मैं तुमसे दूर रहकर भी तुम्हे नज़्दीक पाता हूँ
उमवी और अब्बासी ज़माने में जब उलुमे तफ्सीर व हदीस और फिक़्ह का संपादन हो रहा था उसी काल में तस्व्वुफ ने भी एक अलग क्षेत्र के रूप में पहचान बनाई और उसी दौर में यह इस्लामी पाठ्यक्रम का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया था। तसव्वुफ ने इस्लामी समाज के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी जड़ें जमालीं और बड़े पैमाने पर सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक प्रभाव डाला।
उसने धर्म के नाम पर जारी सभी प्रकार की घृणा के खिलाफ आवाज उठाई। मध्य युग, जिसमें राजनीतिक पागलपन पूरी शिद्दत से मौजूद था, उस समय के लोगों को नैतिकता का पाठ पढ़ाया और दुनिया में शांति व समन्वय स्थापित करने में बड़े बड़े कारनामें अंजाम दिए। तस्व्वुफ की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका यह है कि इसने मध्य एशिया उपमहाद्वीप हिंद व पाक तक समाज को जोड़ने का काम किया। आज एक बार फिर दुनिया इसकी जरूरत महसूस कर रही है और फिर तसव्वुफ़ की ओर रुख कर रही है। आज विश्व स्तर पर इस की चर्चा है। तसव्वुफ़ हमें आपसी प्रेम और शांति का संदेश देता है। दोस्ती और सद्भावना का यह संदेश लगातार दुनिया के हर कोने में पहुंचता रहे, इसे सुनिश्चित किया जाना चाहिए। तसव्वुफ़ केवल धर्म नहीं, बल्कि मन की उच्च स्थिति का नाम है। तस्व्वुफ एक दूसरे को जोड़ने वाली प्रमुख शक्ति है। यह कभी न खत्म होने वाला तराना है जिसने पूरी दुनिया को मोह लिया है। अब जब कि दुनिया इस्लामी शिक्षाओं की आत्मा यानी तस्व्वुफ की ओर लौटने के लिए बेकरार है और इसके दामन में अमन व शांति का संदेश और अपनी समस्याओं का हल खोज रही है तो हमारी भी जिम्मेदारी बनती है कि किताबों में दफन सूफियों की शिक्षाओं को आम करें और इसे दुनिया तक पहुंचाएं। यकीन जानिए जिस दिन दुनिया ने इन संदेशों से जागरूकता ली उसी दिन इस दुनिया से आतंकवाद का सफाया हो जाएगा और शांति की स्थापना भी संभव हो जाएगी, क्योंकि जो लोग भी आज आतंकवाद में लिप्त हैं और दुनिया में शांति के दुश्मन बने बैठे हैं, ये वही लोग हैं जो अहले तस्व्वुफ की शिक्षाओं के खिलाफ है। इस पर अमल किए बिना आतंकवाद को समाप्त नहीं किया जा सकता। सूफियों ने शांति और भाई चारे का संदेश दिया। आज कुछ शक्तियां युवाओं को बहला फुसलाकर हिंसा के रास्ते पर ले जाना चाहती हैं, तो आने वाली पीढ़ी को हिंसा और आतंकवाद से रोकना है तो उन्हें सूफियों की शिक्षाओं से करीब करना होगा। दाता गंज बख्श रहमतुल्लाह अलैह की शिक्षाओं से दुनिया के सामने पेश करना होगा, ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह के संदेश को दुनिया के कोने कोने तक पहुंचाना होगा, हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया रहमतुल्लाह अलैह के शांति के सबक से लोगों को परिचित करना होगा।
शक्ति भी शांति भी भक्तों के गीत में है
धरती के बासियों की मुक्ति प्रीत में है
मानव समाज और जंगलराज में यह स्पष्ट अंतर है कि मानव समाज का एक दस्तूर होता है जब कि जंगल में कोई कानून नहीं चलता है। प्रत्येक शक्तिशाली जानवर कमजोर जानवर को खा जाता है। मगर मानव समाज में ऐसा नहीं चल सकता। मानव को अस्तित्व के संविधान पर चलना पड़ता है और '' जियो और जीने दो 'के अनुसार जीवन बिताना पड़ता है। यह अधिकार पूरी दुनिया के सभ्य समाज का है। इसके बिना कोई मानव समाज अस्तित्व में नहीं आ सकता। अस्तित्व का सिद्धांत संयुक्त राष्ट्र के मान्यता प्राप्त अधिकार का हिस्सा है वैसे भी अगर इंसान, मानव रक्त का सम्मान करना बंद कर दे तो यह दुनिया नहीं बचेगा और सब कुछ तहस नहस हो जाएगा। अस्तित्व के सिद्धांत को तोड़ना ही मुख्य रूप से आतंकवाद है। यह अपराध कोई एक इंसान करे, पूरी पार्टी करे या कोई देश करे, फिर भी गलत है। जो इंसान ऐसी हरकत करता है, वही आतंकवादी है और वह समाज में रहने के योग्य नहीं। मुल्क के कानून इंसान को आतंकवाद से रोकने का काम करते हैं और कानून के डर से लोग अपराध से रुक जाते हैं मगर सूफियों की शिक्षाओं में आतंकवाद और हिंसा से बचाव का एक अलग तरीका अपनाया जाता है। वह मनुष्य को मनुष्य का सम्मान सिखाता है। तसव्वुफ़ बताता है कि अल्लाह हर समय, हर जगह मनुष्य की निगरानी कर रहा है, इसलिए इसे कभी भी प्रकृति के कानून के खिलाफ नहीं जाना चाहिए। अल्लाह, मनुष्य के मन के भेद से भी परिचित है तो दिल के अंदर भी ऐसा विचार नहीं किया जाए। तसव्वुफ़ मनुष्य की ऐसी प्रशिक्षण करता है कि उसे इस तरह के क्रूर कामों की इच्छा ही न हो। यहाँ आदमी की सोच को सकारात्मक बनाया जाता है।
25 दिसंबर, 2016, सौजन्य से: रोज़नामा प्रताप, नई दिल्ली
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