कनीज़ फातमा, न्यू एज इस्लाम
उर्दू से अनुवाद न्यू एज इस्लाम
(भाग-1)
उर्दू शब्दकोश में हिकमत मौक़ा व महल और संदर्भ के एतेबार से कई अर्थ में इस्तेमाल होता है। उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
हिकमत का अर्थ अक्ल, दानिश और दानाई के हैं। इंतज़ार हुसैन का शुमार उर्दू के अहम अफ़साना निगारों में होता है उनके नाविल अफ़साने अदब की बुलंदी पर फायज हैं। वह अपनी किताब “अलामतों का ज़वाल” में शब्द हिकमत का इस्तेमाल अक्ल व दानिश के अर्थ में करते हुए लिखते हैं: “वह हिकमत व दानाई की तलाश में चीन तक का भी सफर कर सकते थे।“ (1976 ई०, अलामतों का ज़वाल, 191)
दायरतुल मआरिफ अल इस्लामिया इन्सैक्लोपीडिया ऑफ़ इस्लाम का उर्दू भाषा में अनुवाद किया गया जिसका नाम “ उर्दू दायरह मआरिफ इस्लामिया” रखा गया। इससे पहले उर्दू भाषा में कोई दायरह अल मआरिफ इस्लाम, तारीखे इस्लाम और मशाहीरे इस्लाम के हवाले से मौजूद न था। इस किताब में हिकमत का अर्थ भलाई मुराद लिया गया है, जैसे “मुफक्केरीने इस्लाम में से जिस किसी ने आमाल पर ज़ोर दिया है...उनके पेशे नज़र यही हिकमत थी।“ (1968 ई०, उर्दू दायरह मआरिफे इस्लामिया, 3:735)
हिकमत का अर्थ तबाअत, इलाज, मुआलजे का इल्म भी है। उर्दू के बुलंद पाया सहीफा निगार सैयद महफूज़ अली बदायूनी जो मौलाना मोहम्मद अली जौहर के अखबार “हमदर्द अखबार” में काम करते थे। वह एक मुकाम पर हिकमत का इस्तेमाल इलाज के अर्थ में करते हुए लिखते हैं: “ यह काम उन पर्चों के लिए छोड़ दिया जाए जिनका मबहस मुत्लकन तिब व हिकमत है।“ (1943 ई०, महफूज़ अली बदायूनी, तनज़ियात व मकालात, 334)
हिकमत का इस्तेमाल किसी चीज की हकीकत, माहियत और असल के अर्थ में होता है। जैसे कुल्लियात वली में मज़कूर एक शेअर में हिकमत इसी अर्थ में इस्तेमाल है: हिकमत इश्क बू अली सूं न पूछ-----नईं वह कानून शनास इस फन का, (1707 ई०, वली कुल्लियात, 24)
हिकमत का अर्थ तदबीर, चाल और तरकीब के भी हैं, जैसे आर्थिक और व्यापारिक भूगोल नामक किताब में हिकमत इसी अर्थ में इस्तेमाल है: “बर्फ और सर्दी की शिद्दत से महफूज़ रहने के लिए बहुत से हिकमतें हैं।“ (1975 ई०, आर्थिक और व्यापारिक भूगोल, 268)
हिकमत उस इल्म को भी कहा जाता है जिसमें मुशाहेदा, गौर व फ़िक्र, दलील व बुरहान से तथ्यों को मालुम किया जाए, जैसे मंतिक, फलसफा, साइंस। (देखिये सैयद अकबर नकवी की किताब: कैसे कैसे लोग,11)
हिकमत के अर्थ इलाकाना मकुला, हकीमाना कौल, अक्ल व दानिश की बात के भी हैं, जैसे “नून तेल भी बेचे जाते और रामायण और महाभारत में भी लिखी हुई हिकमतें भी सुनाते जाते।“ (1979 ई०, बस्ती, 10)
हिकमत के मानी ढंग, तौर तरीका, मतलब, इंतज़ाम, किफायत शआरी, मोजज़ा, राज़, भेड़ के भी हैं। (जामेअ अल लुगात)
इल्मे तसव्वुफ़ में हकाइक व औसाफ और अहकाम अश्याअ का जानना जैसा कि वह नफ्सुल अम्र में हैं, असबाब का मुसब्बब के साथ इर्तेबात को जानना और हकाइक इलाही और इल्म व इरफ़ान के जानने को भी हिकमत कहा जाता है। (माखूज़: मिस्बाहुत तसर्रुफ़, 104)
कुरआन करीम में हिकमत का अर्थ व मफहूम
कुरआन करीम शब्द हिकमत का इस्तेमाल कई जगहों पर हुआ है। उनमें कुछ निम्नलिखित हैं:
कुरआन करीम की दूसरी सूरत (सुरह बकरा) आयत नंबर 269 में अल्लाह पाक इरशाद फरमाता है: يُؤْتِي الْحِكْمَةَ مَن يَشَاءُ ۚ وَمَن يُؤْتَ الْحِكْمَةَ فَقَدْ أُوتِيَ خَيْرًا كَثِيرًا ۗ وَمَا يَذَّكَّرُ إِلَّا أُولُو الْأَلْبَابِ
अनुवाद: वह जिसे चाहे हिकमत अता फरमाता है और जिसे हिकमत दी गई तो बेशक इसे खैर कसीर दी गई। (अल बकरा: 269)
आयते करीमा में मजकुर शब्द हिकमत से क्या मुराद हैं? इस सिलसिले में सहाबा, फुकहा और तबईन के अक्वाल देखें:
अल्लामा अबुल हयान उन्दलिसी लिखते हैं:
हज़रत इब्ने मसूद (रज़ीअल्लाहु अन्हु) ‘मुजाहिद’ज़हाक और मकातिल ने कहा: हिकमत से मुराद कुरआन है।
हज़रत इब्ने अब्बास (रज़ीअल्लाहु अन्हु) ने फरमाया: “ कुरआन मजीद के नासिख और मंसूख, मोहकम और मुतशाबेह और मुकद्दम और मुअख्खर की मारफत का नाम हिकमत है।
सुद्दी ने कहा: हिकमत से मुराद नबूवत है।
इब्राहीम, अबुल आलिया और कतादा ने कहा: हिकमत से मुराद फहम कुरआन है।
लैस ने मुजाहिद से रिवायत किया: हिकमत से मुराद इल्म और फिकह है।
इब्ने नजीह ने मुजाहिद से रिवायत किया: हिकमत से मुराद कौल और फेल का सहीह होना है।
हसन ने कहा: हिकमत से अल्लाह के दीन में तक्वा मुराद है।
रबीअ बिन अनस ने कहा: हिकमत से मुराद अल्लाह के हुक्म में ताक्कुल है।
शरीक ने कहा: हिकमत से मुराद फहम है।
इब्ने कुतैबा ने कहा: हिकमत से मुराद इल्म व अमल का मजमुआ है।
मुजाहिद ने कहा: हिकमत वह चीज है जिसकी सहीह होने की गवाही अक्ल दे।
इमाम कैशरी ने कहा: हिकमत से मुराद अल्लाह के अहकाम में गौर व फ़िक्र करना और उन अहकाम की इत्तेबा करना है। नीज उन्होंने कहा कि हिकमत से मुराद अल्लाह की इताअत, फिकह दीन और उस पर अमल करना है।
अता ने कहा: हिकमत से मुराद मगफिरत है।
अबू उस्मान ने कहा: हिकमत उस नूर को कहते हैं जिसकी वजह से वस्वसा और इल्हाम में फर्क हो।
कासिम बिन मोहम्मद ने कहा: अपनी ख्वाहिशात की बजाए हक़ के मुताबिक़ फैसला करने का नाम हिकमत है।
बंदार बिन हुसैन ने कहा: सुरअत के साथ सहीह जवाब देना हिकमत है।
मुफ़ज़ल ने कहा: किसी चीज को सेहत की तरफ लौटाना हिकमत है।
कतानी ने कहा: जिन बातों से रूहों को सुकून मिले उसे हिकमत कहा जाता है और वह बातें यह हैं: हर हाल में हक़ की गवाही देना, दीन की बेहतरी और दुनिया की इस्लाम करना इल्मुल लदनी, अल्लाह पाक की ज़ात में तफ़क्कुर करना इल्हाम का मोरिद बनने के लिए बातिन की सफाई करना।
(हिकमत के ताल्लुक से) यह कुल पचीस अक्वाल हैं। (अल बहरुल मुहीत जिल्द 2 पेज 683-684 प्रकाशक दारुल फ़िक्र ‘बैरुत’ 1412 हिजरी)
उपरोक्त हिकमत के ताल्लुक से तमाम अक्वाल पर गौर करने से मालुम होता है कि हिकमत के मानी में बज़ाहिर तार्रुज़ है लेकिन यह तार्रुज़ केवल शाब्दिक है, क्योंकि इन मानी के हकाइक पर तदब्बुर करने से मुंकशफ़ होता है कि यह सब एक ही जगह जमा हैं और उनके आपस में एक गहरा रब्त है जिसमें कोई तार्रुज़ नहीं। दुसरे शब्दों में यूँ कहने दीजिये कि हिकमत ऐसा जामेअ शब्द है जो इन तमाम मुआनी को अपने अंदर जमा किये हुए है और इसमें तजाद व तार्रुज़ नहीं।
(जारी)
English Article : The Concept of Hikmah (Wisdom) in Islam: Literal and
Quranic Meaning of Hikmah – Part 1
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