बिलाल अहमद परे, न्यू एज इस्लाम
उर्दू से अनुवाद न्यू एज इस्लाम
30 नवंबर, 2021
तंबाकू का वैज्ञानिक नाम निकोटियाना टैबैकम ( Nicotiana tabacum) है, जिसे तंबाकू के नाम से भी जाना जाता है - एक प्राचीन विचार है कि मेक्सिको के टोबैगो (Tobago) द्वीप पर कोलंबस और अन्य पर्यटकों ने वहाँ के निवासियों को तंबाकू नोशी करते देखा। जिसके बाद द्वीप के नाम से इसका टबाकू नाम रख दिया गया है। जो धीरे धीरे बिगड़ कर तंबाकू (Tobacco) हो गया है। तंबाकू असल में एक झाडी दार पौदा है जो कुछ फिट से ले कर दो या तीन मीटर की उंचाई का होता है। तंबाकू के प्रयोग के लिए उपर्युक्त पौदे के केवल पत्ते काम आते हैं। इसकी खेती भारत के कई क्षेत्रों में की जाती है। वैश्विक स्तर पर धूम्रपान से चीन चीन सबसे अधिक प्रभावित (३०० मिलियन) देशों में से प्रथम है। जबकि तंबाकू की पैदावार में विश्व स्तर पर भारत दुसरे (२७४ मिलियन) नंबर पर है। देश के अंदर आंध्र प्रदेश के राज्य में तंबाकू की सबसे अधिक खेती की जाती है। धूम्रपान विरोधी क्षेत्र में अब तक सबसे सफल देश सिंगापूर माना जाता है।
तंबाकू, सिगरेट, गुटखा और पान का सेवन न केवल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है बल्कि यह अपनी स्वास्थ्य के अलावा संबंधियों के लिए भी खतरनाक हो सकता है - दूसरी ओर यह नैतिक पतन का प्रतिबिंब भी है और इन नशे वाली चीजों को इल्म वाले और राय वालों ने बहुत नापाक चीजों में से गिनवाया हैं। आए दिन इन नापाक चीजों के उपयोग और बुरी आदतों में मुब्तिला लोगों का प्रतिशत तेज़ी से बढ़ रहा है। इस बात से शायद ही हम सब वाकिफ हों कि विश्व स्वास्त्य समुदाय (world helth orgnization) की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में सिगरेट व तंबाकू नोशी के कारण हर छः सेकेण्ड के बाद एक व्यक्ति की मौत हो जाती है। इस तरह दुनिया भर में हर साल लगभग 80 लाख लोग तंबाकू और इससे बनी दूसरी चीजों के कारण मौत के मुंह में चले जाते हैं। जो चिंताजनक है। इस बड़ी संख्या में से लगभग 12 लाख लोग ऐसे हैं जो खुद तंबाकू नोशी तो नहीं करते लेकिन इसके माहौल में मौजूद होने के कारण इससे निकलने वाली खतरनाक धुंए का शिकार हो जाते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट का सबसे चिंताजनक पहलू यह था कि दुनिया भर में 13 से 15 साल के बीच के 38 मिलियन बच्चे नशे के आदी हैं। जिसे स्वास्थ्य विशेषज्ञ बहुत खतरनाक और चिंताजनक स्थिति करार दे रहे हैं। तंबाकू का इस्तेमाल अब आम “हुक्का” से सिगरेट तक और इससे अब धीरे धीरे आधुनिक “इलेक्ट्रानिक सिगरेट” तक पहुँच चुका है। स्पष्ट है कि भारत और बांग्लादेश में इलेक्ट्रानिक सिगरेट के इस्तेमाल पर दो साल पहले ही पाबंदी लग चुकी है।
तंबाकू और सिगरेट में मौजूद निकोटीन नशा की आदत बढ़ा देती है। ऐसी बुरी आदतों को छोड़ना किसी भी व्यक्ति के लिए बहुत मुश्किल हो जाता है क्योंकि जिस्म में निकोटीन की कमी से तबीयत में परेशानी, इज्तेराब, बेचैनी, डिप्रेशन के साथ मानसिक तवज्जोह का अभाव रहने लगता है। विज्ञान की जानकारी से यह बात स्पष्ट हो गई है कि तंबाकू से बनी चीजों के इस्तेमाल से जिस्म में कई हानिकारक प्रभाव पैदा होते हैं। जिससे इंसान अपने ही हाथों अपनी जान लेने पर तुला बैठता है और धीरे धीरे यह ज़हर कातिल साबित हो जाता है। ऐसे मामले में भी कुरआन अहले ईमान की रहनुमाई करता है और इस मुकद्दस किताब में खुली हिदायत मौजूद है जिसमें हमें अपने आपको हालाक करने से मना फरमाया गया है। अल्लाह पाक का इरशाद है “और अपने ही हाथों खुद को हालाकत में न डालो।“ (अल बकरा;195)
इसी तरह दूसरी सुरह में इस प्रकार इरशाद फरमाया गया है कि “और अपनी जानों को हलाक मत करो।“ (अल निसा; 92)
एक शोध के अनुसार तंबाकू और सिगरेट के धुंए में कई ऐसे रासायनिक पदार्थ मौजूद होते हैं जो मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत ही हानिकारक हैं जिनमें ऐसे भी रासायनिक पदार्थ मौजूद हैं जो कैंसर का कारण बन सकते हैं। तंबाकू नोशी की वजह से दिल का दौरा पड़ने का खतरा बहुत बढ़ जाता है। सिगरेट नोशी से दिमाग को खून की पहुँच भी कम हो जाती है। तंबाकू नोशी का सबसे अधिक और खतरनाक नुक्सान फेफड़ों को होता है। शायर के अनुसार
पहले तो सेहर ए निकोटिन से किया बस में हमें
ला के फिर कैद किया वादिये बेबस में हमें
इस सबका महत्वपूर्ण और बुनियादी कार यही है कि तंबाकू से बनी चीजों का हर जगह उपलब्ध होना और छोटी उम्र के बच्चों के पास पैसों की आसानी से उपलब्धता इस बुरी आदत की तरफ ले जाती है। वास्तविकता यही है कि सिगरेट और तंबाकू नोशी गर्व करने का कारण नहीं बल्कि हानिकारक है। लेकिन नुक्सान से अवगत होने के बावजूद सिगरेट नोशी करने वालों की बड़ी संख्या पढ़े लिखे वर्ग की है। इसका कारण अगर तलाश किया जाए तो यही है कि बेरोज़गारी विभिन्न सामाजिक पहलु जिनके जादू में पुरी युवा नस्ल तबाही की दहलीज़ पर खड़ी हो गई है। स्वस्थ ज़िन्दगी गुज़ारने के लिए हमें इरादा करना होगा कि हमेशा सिगरेट व तंबाकू नोशी की पेशकश से इनकार करें और सिगरेट नोश लोगों से सिगरेट व तंबाकू नोशी की आदत को छुड़वाने की गंभीर कोशिश करते रहें ताकि वह भी एक खुशगवार और स्वस्थ ज़िन्दगी बसर कर सकें।
फिर भी ज़ालिम तेरी फितरत न बदल पाए हम
जाल से तेरे न अफ़सोस निकल पाए हम
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में तंबाकू उत्पादों में लगातार गिरावट आ रही है, जिसके आने वाले वर्षों में और गिरावट आने की उम्मीद है। इस संगठन ने अपनी रिपोर्ट में सभी देशों से तंबाकू के उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया है। उनमें तंबाकू के इस्तेमाल से संबंधित इश्तेहार पर पुरी तरह पाबंदी, सिगरेट के पैकेटों पर “Cigarette smoking is injurious to health” और “तंबाकू से कैंसर होता है” के जैसे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होने की चेतावनी, तंबाकू से बनी चीजों पर टेक्सों में इज़ाफा और इसका इस्तेमाल छोड़ने वालों की मदद जैसे कदम शामिल हैं। तंबाकू एक वायरस है जो बाद में वबाई सूरते हाल इख्तियार कर सकती है। इसलिए यहाँ मां बाप का किरदार बड़ा ही अहम बनता है कि वह अपने बच्चों पर सख्त नजर रखें और उन्हें बिना जरूरत हर वक्त पैसे देने से बचें। आलिमों, खतीबों को चाहिए कि इस नापाक चीज के संदर्भ में कुरआन व हदीस की रौशनी में स्पष्ट हिदायत से लोगों को आगाह करें। सरकार को भी चाहिए कि सिगरेट नोशी के खिलाफ 2 नवंबर 2001 को सुप्रीम कोर्ट के जरिये जारी किये हुए आदेश को सख्ती से लागू करें और अवामी जगहों पर इसके इस्तेमाल से पूरा इजतेनाब कराया जा सके।
लब्बोलुआब यह है कि सभी तंबाकू उत्पाद जहरीले हत्यारे हैं जो न केवल उनका उपयोग करने वाले के लिए जीवन के लिए खतरा हैं बल्कि उनसे निकलने वाले जहरीले धुएं दूसरों के जीवन के लिए भी खतरा हैं - आइए अपनी नई पीढ़ी के सुरक्षा के लिए मिल कर संघर्ष करते हैं।
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(लेखक जम्मू और कश्मीर राज्य में त्राल के दक्षिणी क्षेत्र से संबंधित हैं और कश्मीर विश्वविद्यालय से इस्लामी अध्ययन में परास्नातक हैं - आपके लेख अक्सर इस्लामी सामाजिक मुद्दों पर राज्य के विभिन्न दैनिक समाचार पत्रों में अंग्रेजी और उर्दू में प्रकाशित होते हैं।)
Urdu Article: Tobacco Smoking- the Dangerous and Impious too تمباکو نوشی- مُضِر بھی اور
ناپاک بھی
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