बीबीसी हिन्दी
1 अक्तूबर 2014
'लव जिहाद' पर चल रहे शोर-शराबे के बीच अचानक कुछ हिंदूवादी संगठनों की तरफ से ये आवाज़ आई है कि गरबा उत्सवों में मुसलमान न शरीक हों.
इन संगठनों का कहना है कि गरबा उत्सव नवरात्रि से जुड़ा हुआ है और ये हिंदुओं का त्योहार है.
बीबीसी ने अहमदाबाद और मुंबई के कुछ नौजवानों से बात करके ये जानने की कोशिश की है कि इस बारे में वे क्या सोचते हैं.
अंकुर जैन की रिपोर्ट, अहमदाबाद से
रंग बिरंगे घाघरे, ढोल, नगाड़े, सजाया हुआ मंडप और गुजराती लोक संगीत पर नाचते लाखों लोग.
वही नवरात्रि जिसे देखने के लिए फिल्म स्टार अमिताभ बच्चन गुजरात सरकार के एक इश्तहार में सभी भारत वासियो को निमंत्रण देते हैं...
आख़िर गुजरात की नवरात्रि दुनिया का सबसे बड़ा डांस फेस्टिवल है.
लेकिन इस साल कई गुजराती, जो हर साल अपने दोस्तों और परिवार के साथ नवरात्रि उत्सव में शरीक होते थे, इस बार नहीं हो रहे हैं.
'दोस्त कहते हैं, पर...'
अहमदाबाद के 27 वर्षीय रमीज़ पठान दूसरे गुजराती नौजवानों की तरह हर साल नवरात्रि का इंतज़ार करते हैं.
वे कहते हैं, "स्कूल के दिनों से दोस्तों के साथ नवरात्रि में जाता रहा हूँ. कभी किसी दोस्त ने मुझे नहीं कहा कि यह हिन्दू त्योहार है और न कभी गरबा नाचते हुए मैंने इस बात पर गौर किया. इस साल सब दोस्त जा रहे हैं, मैं नहीं. वे रोज़ फ़ोन करते हैं लेकिन मुझे लगता है कि शायद मेरी वजह से वे परेशानी में फंस जाएंगे."
कुछ दिनों पहले विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ताओं ने ऐलान किया था कि वो मुसलमानों को गरबा वाले स्थान पर आने नहीं देंगे क्योंकि नवरात्रि हिन्दुओं का त्योहार है.
अहमदाबाद में एक प्राइवेट कंपनी में डायरेक्टर सुकून खान कहते हैं कि गरबा को सांप्रदायिक रंग देने वाले और 'लव जिहाद' जैसी बातें करने वाले कुछ लोगों की वजह से उनके हिन्दू दोस्त शर्मिंदगी महसूस करते हैं.
'मुसलमान न जाएं'
हालांकि विश्व हिंदू परिषद की बातों का अहमदाबाद में कोई खास असर नहीं देखा गया. पिछले हफ्ते पुलिस ने 20 से अधिक विश्व हिंदू परिषद कार्यताओं को हिरासत में लिया है.
लेकिन इस बात का ज़्यादा असर वड़ोदरा और गोधरा जैसे इलाकों में हुआ है.
विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यकर्ता ने कहा, "गोधरा और वड़ोदरा की कई दरगाहों में एलान किया गया था कि मुसलमान गरबा करने न जाएं. हमने कई जगहों पर कार्यकर्ता खड़े कर रखें हैं जो शक होने पर लड़कों के सर पर टीका कर देते हैं ताकि पता चल सके कि वह हिन्दू है या मुस्लमान."
अमिताभ का आमंत्रण
वहीं राज्य सरकार इस मामले में फंसी हुई है.
जहां एक ओर वह अमिताभ बच्चन से सभी को गरबा में शरीक होने का आमंत्रण दे रही है वहीं कुछ लोग नवरात्रि के पंडाल से मुसलमानों को दूर रख रहे हैं.
गुजरात के एक आला पुलिस अफसर ने कहा, "सरकार ने निर्देश दिया है कि विश्व हिंदू परिषद या किसी भी संस्था को एक हद से बाहर न जाने दिया जाए. लेकिन यह हद क्या है, यह नहीं बताया गया है. वैसे पुलिस और प्रशासन सभी पर नज़र रख रहा है."
चिरंतना भट्ट की रिपोर्ट, मुंबई से
मुंबई एक ऐसा कॉस्मोपॉलिटन शहर है, जहां गुजराती बड़ी संख्या में रहते हैं और नवरात्रि का त्योहार काफी बड़े पैमाने पर मनाया जाता है.
हिना आदिल भालदार जो मीठीबाई कॉलेज की छात्रा हैं, कहती हैं, "मैं आठवीं क्लास में थी तभी से गरबा खेलने जाती हूं. लव जिहाद के मुद्दे पर हम दोस्तों में कोई चर्चा तक नही हुई. त्योहार मिलजुल कर मनाने के लिए होते हैं"
हिना की दोस्त हिताक्षी बावर ने बताया, "हम हमेशा गरबा में साथ गए हैं. कभी भी मेरा हिन्दू होने का और उसके मुसलमान होने का ख्याल जेहन में नहीं आया."
"त्योहार में मज़हब कैसे बीच में आ सकता है. मैं भी ईद मनाने उसके घर जाती हूं."
गरबा का आयोजन
माजिद अंसारी एक ब्रांडिंग फ़र्म में काम करते हैं. वे सालों से अपने हिंदू दोस्तों के साथ नवरात्रि मनाने जाते रहे हैं.
वे कहते हैं, "अब गरबा खेलने जाने का वक्त नहीं होता पर मैं गरबा की इवेंट ऑर्गनाइज़ करने में काफी एक्टिव हूं. अपने कई दोस्तों की मैंने गरबा के आयोजन में मदद की है."
माजिद मुंबई में बड़े पैमाने पर मनाए जाने वाले गणेशोत्सव से भी जुड़े रहते हैं.
एकता का प्रतीक
कोरियोग्राफर और ब्रांड मैनेजर आसिफ शेख अभी गुजरात में गरबा की बड़ी इवेंट्स के आयोजन में व्यस्त हैं.
वे कुछ साल पहले तक गरबा सिखाने का काम तक करते थे.
उनका कहना है, "कोई मजहब आपको अलगाव नहीं सिखाता. हर त्योहार एकता का प्रतीक है."
स्रोतः http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2014/10/140930_gujarat_garba_story_vr