सुहैल अरशद, न्यू एज इस्लाम
16 अगस्त, 2022
मोहर्रम का महीना इस्लाम के लिए आदर का महीना है। यह महिना इस्लाम के पहले के दौर से ही अरब वालों के लिए आदर योग्य था। इस महीने में अरब वाले जंग नहीं करते थे और आपसी मतभेद को ताक पर रख देते थे। इस्लाम में भी इस महीने का कद्र और आदर है क्योंकि इस महीने में रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के नवासे अपने अहले बैत के साथ कर्बला में शहीद किये गए। इस लिहाज़ से मुसलमानों के लिए मोहर्रम का महिना सोग और मातम का भी मौका है। दुनिया की तारीख में हक़ को कायम रखने के लिए इतनी बड़ी कुर्बानी की मिसाल नहीं मिलती जिसमें छः महीने तक के बच्चे को भी कुर्बान कर दिया गया।
बहर हाल उपमहाद्वीप भारत व पाक और अफगानिस्तान व इरान में मोहर्रम के महीने में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की शहादत का सोग मनाने की विभिन्न रिवायतें हैं। जहां शिया फिरका यौमे आशूरा में मातमी जुलूस का आयोजन करता है जिसमें शिया हज़रात ज़ंजीरी मातम करते हैं तो दूसरी तरफ सुन्नी फिरका ताजिया दारी में यकीन रखता है। यौमे आशूरा पर ताजियों के साथ जुलूस निकाले जाते हैं और अलामती जंग का भी आयोजन होता है। इस तरह कर्बला के वाकेआत को याद किया जाता है। और इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके अहले बैत की कुरबानियों को खिराजे अकीदत पेश किया जाता है।
लेकिन पिछले कुछ दशकों से यौमे आशूरा के मौके पर निकलने वाले जुलूसों में गैर इस्लामी रिवायात दाखिल हो गई हैं। जुलूसों में डीजे का चलन शुरू हो चूका है। ताजियादारी की रिवायत में भी अब अकीदत कम और मुकाबला अधिक हो गई है। विभिन्न इदारों की तरफ से यह कोशिश की जाती है कि उनका ताजिया सबसे अधिक बुलंद हो। कम्पटीशन की वजह से अधिक से अधिक बुलंद ताजिये बनाने की कोशिश की जाने लगी।
इस साल प्रयागराज में एक ताजिया इतना बुलंद था कि वह बिजली के तारों से टकरा गया और ताजिया को उठाये लोग बिजली का करंट लगने से झुलस गए। 26 लोगों को करंट लगने की खबर है। एक दुसरे शहर में मुसलमानों के ही दो गिरोहों में झड़प हो गया। एक और जगह गैर मुस्लिमों ने आशूरा के जुलूस में डीजे बजाने पर आपत्ति जताई जिसकी वजह से फिरका वाराना माहौल बिगड़ गया।
इन सब घटनाओं से यह बात साफ़ है कि मुसलमानों के एक वर्ग का तर्ज़े अमल गैर संजीदा है। कुरआन ने मुसलमानों को अपने दीन को खेल तमाशा बनाने से मना किया है। कुरआन ने मुसलमानों को दीन के मामले में मुबालगा आराई से भी मना किया है। दीन के बताए हुए उसूलों से मुंह फेरने से बिगाड़ पैदा होते हैं। इस्लाम के बुनियादी अरकान की तकमील में कोई नुक्सान नहीं है और न अल्लाह ने दीन में कोई सख्ती राखी है। नमाज़, रोज़ा, जकात, हज की तकमील में मुसलमानों को न कोई परेशानी होती है न नुक्सान क्योंकि इन अरकान पर अमल अल्लाह और रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बताए हुए तरीके पर होता है। लेकिन जब दीन को खेल और तमाशा बना लिया जाता है, और नै नई रिवायतें दीन में दाखिल कर दी जाती हैं तो इसका नुक्सान मुसलमानों को उठाना पड़ता है। एक आशूरा के जुलूस में एक युवक सीने से ट्यूब लाईट तोड़ने का स्टंट दिखा रहा था। बदकिस्मती से ट्यूब लाईट के कांच का टुकड़ा उसके गले में घुस गया जिससे उसकी मौत हो गई। अब तक मोहर्रम के जुलूस में लाठियों और तलवारों से अलामती लड़ाई लड़ी जाती थी मगर अब नए और खतरनाक स्टंट दिखाए जाने लगे हैं। कुरआन मुसलमानों से कहता है कि अपने आपको हलाकत में न डालो। एक दूसरी जगह खा गया है कि जान की फ़िक्र लाज़िम है। जान बुझ कर खुद को मौत के मुंह में झोंकना सवाब का काम नहीं है बल्कि आत्महत्या है
सवाल यह है कि मुसलमानों में दीन को खेल तमाशा बनाने के इस बढ़ते हुए रुझान के लिए जिम्मेदार कौन है। क्या इस गैर इस्लामी रिवायात के फैलाव को रोकने के लिए हमारे मिल्ली कायदीन कोई कोशिश कर रहे हैं? मुसलमानों को मोहर्रम की कद्र व मंज्लत और इस मां के तारीखी पसमंजर से आगाह कर रहे हैं। इस महीने में प्रचलित बिदआत के खात्मे के लिए कोई मुहिम चला रहे हैं? बदकिस्मती से इन सवालों का जवाब नहीं में होगा।
मोहर्रम का चाँद नज़र आने के बाद से ही उर्दू अखबारों में इस्लामी विद्वानों के मुहर्रम की अज़मत और इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की कुरबानियों पर दो हफ्ते तक लेख प्रकाशित होने लगते हैं। देश और विदेश में प्रकाशित होने वाले हज़ारों उर्दू अखबारों में छपने वाले ऐसे लेख लाखों की संख्या में होते हैं। मगर उनमें शायद ही कोई लेख मोहर्रम में राएज होने वाली बिदआत के खिलाफ होता है। क्योंकि मुस्लिम मिल्ली अदीब भी विवादित मसलों से बच कर निकल जाते हैं। उनका मकसद इस्लाहे कौम नहीं बल्कि अखबारों में अपने दीनी इल्म की धाक बिठाना होता है। एक अदीब की हैसियत से अपनी पहचान बनाना होता है। हमारे मिल्ली कायदीन इस साल आशूरा के मौके पर पेश आने वाले हादसों और नाखुशगवार घटनाओं की रौशनी में गौर फ़िक्र करें और मुसलमानों में दीन को खेल तमाशा बनाने के नुकसानों से आगाह फरमाएं ताकि मोहर्रम के मौके पर नक्से अमन और हादसात और जाने के जाया होने के इमकानात को कम किया जा सके और उनमें दीन की सहीह फहम पैदा की जा सके।
Urdu Article: Accidents and Skirmishes during Muharram محرم کے دوران حادثات اور نقص
امن کا ذمہ دار کون
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